सोमवार, 30 अगस्त 2021

Love-आजकल

 देख के हुआ आकर्षण

आकर्षण से हुआ प्यार!!


प्यार से हुआ इक़रार

इक़रार हुआ मिलन-ए-सवार!!


थोड़ी सी गुफ़्तुगू

फिर हुई तक़रार!!


नज़रें हटी, नज़रें फेरी

दिल टूटा बिन आवाज यार!!


भटका थोड़ा इधर-उधर

जुड़ा कहीं और फिर बिन सार!!


यह फ़लसफ़ा-ए-हक़ीक़त है

आजकल दिखता है बार-बार!!

शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

याद-ए-गगरी

छलके जो आँसू याद में
वो याद नहीं इक एहसास था!

मिलने की ख़्वाहिश में
न जाने लूटा कौन सा अरमान था!

समझाया दिल को बहलाया भी हमने
फिर भी न जाने यह क्यों बैचेन था!

तड़पन थी जकड़न थी मग़र क्यों
यह आज भी सवाल है यह कल भी सवाल था!

छलके जो आँसू याद में
वो याद नहीं इक एहसास था!

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

अनाभि-ए-दर्श

नफ़रत करें कैसे
नज़रों में प्यार भरा है!!

तुम से मिले हैं तो शायद 
तुमसे क़रार बड़ा हैं!!

तुम्हें देखते ही
हो गया जो परिचय प्रेम से!!

कैसे बताएँ कि अब दिल
बैचेन बड़ा है!!

सोमवार, 23 अगस्त 2021

शुक्रिया-ए-एहसास

शुक्रिया-ए-एहसास

दिल से करता हूँ!!

जो कर रहे हैं पसंद

लेखनी को मेरी

उनको सलाम करता हूँ!!


दे रहे हैं हौंसला जो

भेज के प्यार-ए-संदेसा मुझे!

आँखों में बसा के उनको

धड़कन उनके नाम करता हूँ!!

रविवार, 22 अगस्त 2021

सिहरन-ए-याद

सुबह सुबह का 
ख़्वाब हो तुम!!

ठंड की 
बरसात हो तुम!!

नर्म गर्म बिस्तर में
घुस आती है जैसे
जाड़ों में हवा!!

ऐसी ही सिहरन सी
याद हो तुम!!

शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

बीता-ए-वक़्त

बीते हुए वक़्त में
जीया नहीं जाता है!!
कुछ पल रुक के
मुड़ कर पीछे!
बस सीखा जाता है!!

वर्तमान है तुम्हारा
कुछ करने के लिए!!
सीख लिया जिसने
जीना इसमें!
फिर तराना!
उज्ज्वल भविष्य का
वही गाता है!!

और भविष्य
ना कभी आया है!
ना कभी आता है!!
जो करता है इंतज़ार!
उसका भविष्य ही
वर्तमान बन जाता है!!

साथ

 मुश्किल बड़ा बताना है

"साथ" तो निभाना है!!

एहसास के धागे से बंधा
रूहों का याराना है!!

कैसे करें बयाँ इसको
यह शब्द नहीं केवल!
जिंदगी का तराना है!!

सिमट पायेगा कहाँ
चंद लफ़्ज़ों में यह!!

ईश्वर का आशीर्वाद
खुदा का अफ़साना है!!

सोमवार, 16 अगस्त 2021

लम्हां-ए-ख़ुशी

हँसने की वज़ह
न खोजा करो!
छोटी सी है जिंदगी
बस ये सोच के
हर लम्हां मुस्कुराया करो!

रो रो के आँखे
क्यों हैं सुजानी
हाँ यदि मन हो 
आँखों की सफ़ाई का
तो कभी कभी
खुशी के मोती
छलका दिया करो!

पाकर ही खोना होता है
बिन पाए खोया किसे जाता है
मग़र खोने के लिए
पाने की चाहत 
दिल में न कभी रखा करो!

जिंदगी तो आबाद है सदा
हमने ही बर्बाद करी है
इच्छाओं के बोझ तले
घुट घुट के न जीवन जिया करो!

आ गए जो जमीं पर
तो हरपल जिंदा हैं हम
इस दिल में उस दिल में
एक नहीं कई ख़यालों में हैं हम
मर सकते नहीं फिर
चाहे जितना जतन करो!!

हँसने की वज़ह
न खोजा करो!
छोटी सी है जिंदगी
बस ये सोच के
हर लम्हां मुस्कुराया करो!

शनिवार, 14 अगस्त 2021

स्वतंत्रता-ए-तहज़ीब

आज हम स्वतन्त्र हैं, मगर स्वतंत्रता की भी एक सीमा होती है। आपकी स्वतंत्रता वहीं तक सीमित है जब तक आपकी स्वतन्त्रता से किसी दूसरे को कोई समस्या न हो, कोई दूसरा आपकी स्वतन्त्रता से प्रभावित न होता हो। 
स्वतंत्रता का यह मतलब नहीं है कि आप किसी के ऊपर थूक सकते हो, किसी के ऊपर पत्थर बरसा सकते हो, किसी को भी सार्वजनिक जगह पर अपमानित कर सकते हो या चोरी कर सकते हो या कानून तोड़ सकते हो या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हो, या सार्वजनिक रास्तों को अवरूद्ध कर सकते हो, जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे सभी लोग अपराधी हैं और उन्हें सख्त से सख्त सज़ा मिलनी ही चाहिए।
अब कुछ लोग उनके समर्थन में यह भी कहेंगे की ये सब काम उन्होंने मजबूरी में किये, उन्हें भड़काया गया, अज्ञानता वश उन्होंने ऐसा किया, तो उन सभी से यही कहना चाहूँगा कि कोई भी व्यकि चाहे मजबूरी में, चाहे अज्ञानता वश, चाहे भड़काने से, चाहे जानबूझकर, ऐसा कोई भी काम करता है जिससे दूसरों को नुकसान हो तो वह अपराधी की श्रेणी में ही आता है। 
अपराध अपराध होता है यह मायने नहीं रखता की वह किस स्थिति में किया गया था, क्योंकि हम सभी मनुष्य हैं और हर मनुष्य के जीवन में कोई न कोई मजबूरी होती है, अज्ञानता भी होती है, हर किसी पर किसी न किसी का प्रभाव भी होता ही है। अरे! हम तो वे मनुष्य हैं जो अनजाने, सुसुप्त अवस्था में किये अपराध की सजा भी भोगते हैं और कुछ लोग तो जागृत अवस्था में ऐसे अपराध कर रहे हैं।
अतः ऐसे सभी लोग जो इस तरीके के कृत्य कर रहे हैं वे सभी दण्डनीय अपराधी हैं, मगर ज़ाहिल नहीं हैं क्योंकि ज़ाहिल तो वे पढ़े लिखे लोग हैं जो इन अपराधों का समर्थन कर रहें हैं, ज़ाहिल तो वे लोग हैं जो खुद का बुद्धिजीवी होने का भ्रम पाले हुए हैं, जो सच को सच और गलत को गलत कहने में भी अपना लाभ और हानि देख रहे हैं व ऐसे कृत्यों को बढ़ावा दे रहे हैं।
यदि इन्हें पढ़ा लिखा ज़ाहिल भी कहा जाय तो कोई अतिसंयोक्ति न होगी।

शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

जीना है तो जाग जाइये

यदि जीना है,
तो जाग जाइये,
न्यूज़ चैनलों,
और नेताओं से,
दूर भाग जाइये,
कुछ पल करके,
आँखे बंद,
ध्यान लगाइये,
खुद को समझिये,
और पहचान जाइये,
करके सेवा दुःखीयारों की,
दिल से आशीर्वाद पाइये,
घर में रहकर अपनों संग,
लम्हों का लुफ्त उठाइये,
बच्चों संग अपने जमाने की,
अपने अनुभवों की,
गपसफ़ लगाइये,
क्या रखा है?
सोशियल मीडिया में,
नुक्ताचीनी करने में,
खुश रहो,
और खुशियाँ बाँटिये,
छोड़ टीवी और मोबाइल,
प्रकृति के करीब आइये,
यदि जीना है,
तो जाग जाइये,
न्यूज़ चैनलों,
और नेताओं से,
दूर भाग जाइये,
कुछ पल करके,
आँखे बंद,
ध्यान लगाइये,
खुद को समझिये,
और पहचान जाइये,

ऐब-ए-दर्पण

जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है
दूसरा भी इंसान है भगवान नहीं 
न जाने क्यों ? नहीं समझता है!!

हर कोई चाहता है बेहतर से बेहतर करना
मग़र कभी कर नहीं पाता
एक को खुश करो तो दूजा रूठ जाता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!

कभी उसकी जगह पर खुद को रख के तो देखो
और फिर उसके काम पर 
अपनी एक योजना बना के देखो
मुश्किलों का, चुनौतियों का तभी तो एहसास होता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!

क्योंकि ऐसा करना था वैसा करना था
कहना बड़ा आसान होता है
अध-पका भोजन और अधूरा ज्ञान 
दोनों से होता है नुकसान यह भी पता चल जाता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!

किये गए कामों में गलतियाँ ढूढ़ना आसान होता है
और गलतियाँ रहित काम करना 
बहुत ही मुश्किल होता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!
दूसरा भी इंसान है भगवान नहीं
न जाने क्यों ? नहीं समझता है!!

गुरुवार, 12 अगस्त 2021

हिसाब-ए-प्रकृति

मौसम का फ़साना है!
सर्दी गर्मी संग!
बारिस की बूंदों का!
तराना है!!

कहीं बादलों का फटना!
कहीं पर्वतों का गिरना है!

सरक रही है जमीं कहीं!
कहीं आंसू-ए-नीर बहना है!

यह सब देख जब!
उठती सिहरन!
तो तसव्वुर-ए-ख़याल 
का आना है!!

शायद अब समझेंगे!
हम लोग सभी!
कि प्रकृति को अब!
और नहीं छेड़ना है!!

एहसास-ए-शुरुआत नई

आँसुओं को!

समेट लो!

कुछ इस तरह!!

कि पलकों!

पर ही सूख जाएं!!

चलो खुशियों को!

लपेट कर!

फिर इक नई!

शुरुआत हो जाये!!

बुधवार, 11 अगस्त 2021

रूह से रूह तक

अपनी रूह को किसी का 
गुलाम मत बनने दो!!

दिल है अपना
इसे अपना ही रहने दो!!

भूली बिसरी यादों में
यूँ जिंदगी न बिताओ!!

खुला है आसमान
खुद को उड़ने दो!!

सोमवार, 9 अगस्त 2021

दर्पण-ए-हक़ीक़त

दुवाओं में किसी को
मांगा न करो!!

हो के नादाँ निशाना
साधा न करो!!

यह दुनियाँ बड़ी
सौदागर है जनाब!!

तौल-मौल के 
रिश्ते निभाती है!!

इसलिए तराजू के
दोनों पलड़ों को!
खुद ही बराबर करो!!

शनिवार, 7 अगस्त 2021

मोड़-ए-जिंदगी

जिंदगी है हमारी
हम मुड़ जाएँ 
चाहे जिधर से!!

वक़्त तो गुजर रहा है
अपनी ही घड़ी से
हम ही हैं जो दौड़ रहे
बे-वक़्त इधर-उधर से!!

सुनापन है नहीं
न दिया है जिंदगी ने
यह तो हमने है चुना
जीना ख़ामोशी से!!

कश्मकश में हैं फँसे
क्योंकि ख़्वाहिशें हैं पाली
वो जो हैं उलझन भरी
पूरी न हों तो 
घिर जाते हैं तन्हाईयों से!!

कोशिश करके जो मुस्कुराएँ
तो लगती है बनावट सी
अंदर से हो दिल खुश
तो दुःख आ सकता 
नहीं कहीं से!!

जिंदगी है हमारी
हम मुड़ जाएँ 
चाहे जिधर से!!

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विश्वास-ए-रूबरू

किसी के नहीं पहले
क़ाबिल खुद के बनो!!

किसी को नहीं पहले
खुद को खुश करो!!

किसी को खुद में नहीं
पहले खुद को खुद में
शामिल करो!!

कर लिया अग़र तो
छट जाएंगे यक़ीनन
हताशा के बादल सभी!

मिल जाएगी मंज़िल
हो जाएंगी ख्वाहिशें पूरी!!

शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

उलझन-ए-तसव्वुर

जब दिल की सोच को!
दिमाग से परखने लग जाते हैं!
तो उलझ जाते हैं!!

फिर अपने बेगाने!
कभी बेगाने अपने हो जाते हैं!!

अच्छा तो यह होता कि हम!
दिल की बात दिल में दबा लेते!!

छोटी छोटी गलतियों को कर किनारा!
मन से मन की बातें करते!!

और गुथ जाते कुछ इस तरह से!
जैसे साँसे धड़कनों में गुथ जाते हैं!!

जब दिल की सोच को!
दिमाग से परखने लग जाते हैं!
तो उलझ जाते हैं!!

गुरुवार, 5 अगस्त 2021

ग़ज़ब-ए-दुनियाँ

मैंने एक भूखे को रोटी दी!

उसने मुझे दिल से दुवाएँ दी!

ले गया एक चित्रकार,सचित्र हमें!

फिर हमारे इस लेन-देन की!

दुनियाँ ने लाखों में कीमत दी!!

बुधवार, 4 अगस्त 2021

और बताओ क्या चल रहा है?

और बताओ क्या चल रहा है?
धर्म के नाम पर
लोग मर रहे हैं
मार रहे हैं
पैसे और रुतबे का
खेल चल रहा है
और बताओ क्या चल रहा है?
हकीकत का पता नहीं
सुनी सुनाई बातों पर
विश्वास चल रहा है
तकनीक हो गई 
इतनी विकसित कि
कुछ का कुछ बना के
परोसा व दिखाया जा रहा है
और बताओ क्या चल रहा है?
ठेले वाले से 
एक एक रुपये का
हिसाब चल रहा है
और स्टार होटलों में
टिप दिया जा रहा है
मंगाई बढ़ने की 
हाई तौबा मच रखी है
और फिल्म देखते देखते
बीस रुपये का पॉपकॉर्न 
सौ रुपये में खाया जा रहा है
किसानों के लिए तो बस 
अफ़सोस जताया जा रहा है
और बताओ क्या चल रहा है?
अपनों को छोड़कर 
हर एक शक़्स 
बेईमान दिख रहा है
अपनी बुद्धि व विवेक को
लगा रखा है घास चरने
और दूसरों के विचारों पर
घमासान चल रहा है
और बताओ क्या चल रहा है?
सफाई की तुलना 
विदेशों से चल रही है
जब बैठे हों अपनी कार में
तो कूड़ा बाहर उड़ रहा है
पर्यावरण के लिए
अफ़सोस चल रहा है
अपने घर का कचरा
सड़कों, गलियों, नदियों 
में निकल रहा है
और बताओ क्या चल रहा है?
दुर्घटना में मर जाए कोई
तो आन्दोलन चल रहा है
और चालान बड़ा तो
गुस्सा आ रहा है
अपनी गलतियाँ
किसी को दिखती नहीं
दूसरों की कमियों का
बखान चल रहा है
और बताओ क्या चल रहा है?
विज्ञापन के नाम पर
बच्चों व युवाओं की सेहत से
खिलवाड़ चल रहा है
न्यूज़ के नाम पर
मन-मुटाव चल रहा
फ़ायदा हो तो सलाम
नहीं तो इंतक़ाम चल रहा है
धूल चहरे पर है
और आईना धुल रहा है
बस भई! यही सब कुछ चल रहा है!!

"नारी"

घोर अँधेरी रात में!
रोशनी की किरण है!
तपती हुई रेत में!
छाया का मरहम है!!

दुनियाँ के!
रिवाजों से जूझती!
तूफ़ान में खड़ी चट्टान है!
खुद टूटती बिखरती!
मग़र रिश्तों को संभालती!
एक क़ायनात है!!

एक दिवस नहीं!
हर दिवस उनका ही है!
कभी न लेती अवकाश
इसीलिए अन्नपूर्णा है!!

पहले तो होता था!
मग़र आज भी!
जिनकी महिमा का!
तिरस्कार जारी है!
अर्पण है मेरे!
ये चंद लफ़्ज!
उन सभी को!
जिन्हें कहती यह दुनियाँ!
नारी है!!

मंगलवार, 3 अगस्त 2021

रिश्ता-ए-अँधेरा

रोशनी है बिखरी
जिंदगी में तुम्हारे
सुनकर खुशी हुई!!

मग़र न तोड़ना
अंधेरे से रिश्ता!!

यह वही है जिससे
ग़म में दोस्ती तुम्हारी हुई!!

जब हर तऱफ फैला था सन्नाटा
यह वही है जिसने तुम्हें संभाला!!

इसी ने सिखाया तुम्हें लड़ाई-ए-ज़ज़्बा
यह वही है जिससे रोशनी तुम से रूबरू हुई!!

असर-ए-लेखनी

लिख लेता हूँ!
आपका असर है!!

मानो न मानो!
शब्द हो आप!

बस कलम मेरी है!!

सोमवार, 2 अगस्त 2021

एहसास-ए-आप

आप की अनोखी बात है
साथ नहीं पर साँस है!!

संग जिए जो पल आपके
हर लम्हां मुझे याद है!!

बातें वो पुरानी जो कही आपने
आज भी इक एहसास है!!

दिल में मेरे रहते हो आप
यह धड़कन आपकी ही सौगात है!!

आप की अनोखी बात है
साथ नहीं पर साँस है!!

एहसास-ए-आप

आप की अनोखी बात है
साथ नहीं पर साँस है!!

संग जिए जो पल आपके
हर लम्हां मुझे याद है!!

बातें वो पुरानी जो कही आपने
आज भी इक एहसास है!!

दिल में मेरे रहते हो आप
यह धड़कन आपकी ही सौगात है!!

आप की अनोखी बात है
साथ नहीं पर साँस है!!

धर्म-ए-चश्मा

धर्म के नाम पर....

हर वक़्त ............

अधर्म करते हैं.......

लोग भी कैसे कैसे..

कर्म करते हैं.........

प्यार है स्वरूप..........

राम-रहीम-यीशु का..

और इसे ही छोड़कर

बाक़ी सब कुछ......

किया करते हैं........

लम्हां-ए-ख़ुशी

ग़मों से लिपटा न करो
बस हर लम्हां मुस्कुराया करो!!

जिस तरह चढ़ता है धीरे धीरे
मेहेंदी का रंग हाथों में!!

उसी तरह ख़ुशियाँ भी होले होले
रागिनी सुनायेंगी!
बस थोड़ा सब्र करो!!

ग़मों से लिपटा न करो
बस हर लम्हां मुस्कुराया करो!!

रविवार, 1 अगस्त 2021

सीख-ए-जिंदगी

भूतकाल से सीख
वर्तमान में जीना!

कंचन की तरह
चमक उठोगे!
बस यही है कहना!

भविष्य के इंतज़ार में
कभी ना! 
खुद को खोना!!

भूतकाल से सीख
वर्तमान में जीना!

दवा-ए-हम

क्यों है छुपाया

सीने में दर्द!!


क्यों हरा है 

बेदर्द ज़ख्म!!


बयाँ कर दो 

बस इक बार!!


कर लो यंकी

फिर दवा हैं हम!!

शख़्स-ए-दिल्लगी

 ख़ामोशी को सुन ले जो!

वो शख्स हो तुम!!


रेशम की डोर सी बँधे हो!

मेरे हाथों की नब्ज़ हो तुम!!


तौफा क्या दें तुम्हें!

खुद इक तौफा हो तुम!!


इसलिए लिखते हैं एहसास!

जिसका हर एक लफ्ज़ हो तुम!!