जिंदगी है हमारी
हम मुड़ जाएँ
चाहे जिधर से!!
वक़्त तो गुजर रहा है
अपनी ही घड़ी से
हम ही हैं जो दौड़ रहे
बे-वक़्त इधर-उधर से!!
सुनापन है नहीं
न दिया है जिंदगी ने
यह तो हमने है चुना
जीना ख़ामोशी से!!
कश्मकश में हैं फँसे
क्योंकि ख़्वाहिशें हैं पाली
वो जो हैं उलझन भरी
पूरी न हों तो
घिर जाते हैं तन्हाईयों से!!
कोशिश करके जो मुस्कुराएँ
तो लगती है बनावट सी
अंदर से हो दिल खुश
तो दुःख आ सकता
नहीं कहीं से!!
जिंदगी है हमारी
हम मुड़ जाएँ
चाहे जिधर से!!
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