ग़मों से लिपटा न करो
बस हर लम्हां मुस्कुराया करो!!
जिस तरह चढ़ता है धीरे धीरे
मेहेंदी का रंग हाथों में!!
उसी तरह ख़ुशियाँ भी होले होले
रागिनी सुनायेंगी!
बस थोड़ा सब्र करो!!
ग़मों से लिपटा न करो
बस हर लम्हां मुस्कुराया करो!!
मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
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