धर्म के नाम पर....
हर वक़्त ............
अधर्म करते हैं.......
लोग भी कैसे कैसे..
कर्म करते हैं.........
प्यार है स्वरूप..........
राम-रहीम-यीशु का..
और इसे ही छोड़कर
बाक़ी सब कुछ......
किया करते हैं........
मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
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