जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है
दूसरा भी इंसान है भगवान नहीं
न जाने क्यों ? नहीं समझता है!!
हर कोई चाहता है बेहतर से बेहतर करना
मग़र कभी कर नहीं पाता
एक को खुश करो तो दूजा रूठ जाता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!
कभी उसकी जगह पर खुद को रख के तो देखो
और फिर उसके काम पर
अपनी एक योजना बना के देखो
मुश्किलों का, चुनौतियों का तभी तो एहसास होता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!
क्योंकि ऐसा करना था वैसा करना था
कहना बड़ा आसान होता है
अध-पका भोजन और अधूरा ज्ञान
दोनों से होता है नुकसान यह भी पता चल जाता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!
किये गए कामों में गलतियाँ ढूढ़ना आसान होता है
और गलतियाँ रहित काम करना
बहुत ही मुश्किल होता है
जो कुछ नहीं करता वह दूसरों की कमियाँ ढूँढ़ता है!!
दूसरा भी इंसान है भगवान नहीं
न जाने क्यों ? नहीं समझता है!!
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