सुबह सुबह का
ख़्वाब हो तुम!!
ठंड की
बरसात हो तुम!!
नर्म गर्म बिस्तर में
घुस आती है जैसे
जाड़ों में हवा!!
ऐसी ही सिहरन सी
याद हो तुम!!
मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
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