रविवार, 22 अगस्त 2021

सिहरन-ए-याद

सुबह सुबह का 
ख़्वाब हो तुम!!

ठंड की 
बरसात हो तुम!!

नर्म गर्म बिस्तर में
घुस आती है जैसे
जाड़ों में हवा!!

ऐसी ही सिहरन सी
याद हो तुम!!

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