मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
-
मजखाली के झोड़े धूणी (मंदिर) में.....
-
ख़ामोशी को सुन ले जो! वो शख्स हो तुम!! रेशम की डोर सी बँधे हो! मेरे हाथों की नब्ज़ हो तुम!! तौफा क्या दें तुम्हें! खुद इक तौफा हो तुम!! इसलिए...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें