हँसी होता है
सफ़र जिंदगी का!
घुटन तो हमारे अंदर है
ख्वाहिशें जो पाली हैं इतनी!
पूरी न हो अग़र
तो दम घुटता है!!
चलते रहेंगे तो पहुँच जाएँगे
मंज़िल-ए-हकीकत पे अपनी!
तो मुस्कुरा के चलिए
ग़म का बोझ उठाए!
क्यों चलना है!!
मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
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