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शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

सफ़र-ए-जिंदगी

हँसी होता है
सफ़र जिंदगी का!
घुटन तो हमारे अंदर है
ख्वाहिशें जो पाली हैं इतनी!
पूरी न हो अग़र 
तो दम घुटता है!!

चलते रहेंगे तो पहुँच जाएँगे
मंज़िल-ए-हकीकत पे अपनी!
तो मुस्कुरा के चलिए
ग़म का बोझ उठाए!
क्यों चलना है!!

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