एहतराम-ए-रिश्ता
होना ही चाहिए!
गुल-ए-बाग़
खिलना ही चाहिए!
चाँद-ए-आसमाँ
आसमाँ-ए-दीदार
होना ही चाहिए!
याद-ए-दिल्लगी
एहसास-ए-याद
होना ही चाहिए!
यह कोई सौदा नहीं
जो मोल भाव
करके ही होना चाहिए!!
मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
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