शनिवार, 11 दिसंबर 2021

नमन-ए-वीर

 कभी-कभी लम्हां भी
खामोश हो जाता है!


कहते हैं, वक़्त गुजरता है
मग़र कभी-कभी 
थम सा जाता है!


बस इक चुभन सी
रह जाती है याद में!


लेकिन गर्व से 
सीना तन जाता है!!

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