रविवार, 17 अक्तूबर 2021

हक़ीक़ते-ए-जिंदगी

 कोई बात नहीं

अग़र खुश न रह सको!

कवि कहता है इतना 

मग़र चिंता न किया करो!

हर बारिस के बाद 

धूप निकलती है!

हर रात के बाद 

दिन निकलता है!

बस इस सच्चाई को 

स्वीकार कर लिया करो!

कोई बात नहीं!!

अग़र कुछ न कर सको!!

लम्हा बदलता है हरपल

बस इंतज़ार कर लिया करो!!!!!

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