रविवार, 5 सितंबर 2021

ख़्वाब-ए-तसव्वुर

ख़्वाबों को भी थकने दो!
कुछ पल उन्हें भी!
तन्हाईयों में रहने दो!


कब तक थोपोगे!
अपनी ख़्वाहिशें इन पर!


कुछ वक्त इन्हें भी!
तसव्वुर से जीने दो!!

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