गुरुवार, 2 सितंबर 2021

अल्फ़ाज़-ए-रहगुजर

आँखों में बसा के
यादों से जमा दिया!
सच में तुमने तो रुला दिया!!


घायल कोई अज़नबी ही सही
ज़ख्म हो पराया ही सही!
मग़र दर्द ने वही सिला दिया!!


कोई गिला नहीं
अजी! शिक़वा भी नहीं!
जो तुमने मेरे अल्फ़ाज़
किसी और को सुना दिया!!

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