सोमवार, 2 अगस्त 2021

लम्हां-ए-ख़ुशी

ग़मों से लिपटा न करो
बस हर लम्हां मुस्कुराया करो!!

जिस तरह चढ़ता है धीरे धीरे
मेहेंदी का रंग हाथों में!!

उसी तरह ख़ुशियाँ भी होले होले
रागिनी सुनायेंगी!
बस थोड़ा सब्र करो!!

ग़मों से लिपटा न करो
बस हर लम्हां मुस्कुराया करो!!

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