मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
बुधवार, 30 मार्च 2022
रविवार, 27 मार्च 2022
सोमवार, 21 मार्च 2022
मतलबी-ए-दुनियां
मतलबी है पूरी दुनियां
थोड़ा हम हो गए!
तो कोई ग़ुनाह तो नहीं!!
हर कोई लगा है
इक-दूजे की टांग खींचकर
आगे बढ़ने की होड़ में!
थोड़ा हम बढ़ गए आगे
बिन-कहे चुपके से
तो कोई ग़ुनाह तो नहीं!!
दिल-ए-अरमां
पास आ जाती है क़ायनात
जो तू पास आ जाता है!!
मिल जाता है सुकून
जो तू गुनगुनाता है!!
थम जाए वो लम्हां
जब तू करीब हो
बस यही दिल चाहता है!!
बुधवार, 16 मार्च 2022
आम-ए-आदमी
हर कोई है खुद की
बेहतरीन तस्वीर यहाँ
ऐसा मैं मानता हूँ!!
आम हूँ आदमी मैं
आम शब्दों में लिखता हूँ!!
बहुत बड़ा लेखक नहीं मैं
बस कभी कभी लिखता हूँ!!
भटक न जाएं ये शब्द मेरे
अतः शब्दों के श्रृंगार से डरता हूँ!!
आम हूँ आदमी मैं
आम शब्दों में लिखता हूँ!!
बन जाता है काव्य खास
जब आम जन को छू लेता है
बस इसीलिए मैं सीधे साधे
शब्दों का चयन करता हूँ!!
हर कोई है खुद की
बेहतरीन तस्वीर यहाँ
ऐसा मैं मानता हूँ!!
आम हूँ आदमी मैं
आम शब्दों में लिखता हूँ!!
सोच-ए-जिंदगी
क्या रखा है?
दूसरों को मनाने में!
सबकी अपनी है सोच
सब लगे हैं अपने कर्मों में!
तो खो जाओ खुशी से
तुम भी अपनी इस
छोटी सी जिंदगी में!!
रविवार, 13 मार्च 2022
फूलदेई-ए-श्रृंगार
हरा-भरा त्यौहार है
यह फूल-देई
प्रकृति का श्रृंगार है!!
अर्थ को इसके
धरातल पर उतारना
इसे केवल मनाना मत
हृदय से संभालना
जो उतरा यह श्रृंगार
तो समझो जीवन बेकार है!!
हरा-भरा त्यौहार है
यह फूल-देई
प्रकृति का श्रृंगार है!!
गुरुवार, 10 मार्च 2022
एहतराम-ए-रिश्ता
एहतराम-ए-रिश्ता
होना ही चाहिए!
गुल-ए-बाग़
खिलना ही चाहिए!
चाँद-ए-आसमाँ
आसमाँ-ए-दीदार
होना ही चाहिए!
याद-ए-दिल्लगी
एहसास-ए-याद
होना ही चाहिए!
यह कोई सौदा नहीं
जो मोल भाव
करके ही होना चाहिए!!
आकांक्षा-ए-मुस्कुराहट
साँसों की गिनती!
जैसे की नहीं जाती!!!
मुस्कुराने की वज़ह!
कभी ढूंढी नहीं जाती!!!
कुछ मिले तो !
मुस्कुरा लो!!
कुछ न मिले !
तो मुस्कुरा लो!!!
मुस्कुराहट में कुछ!
खोया नहीं जाता!!!
सच्ची हो मुस्कान !
तो हर घाव है भर जाता!!!
गुरुवार, 3 मार्च 2022
आयना-ए-जिंदगी
ख़ुशी और ग़म
दो पहलू हैं
जिंदगी के!!!
हर वक़्त बदलेगा
जी रहे हो अगर
जिंदगी को!!!
रुक गए तो
अकेले, बेबस से
हो जाओगे!!
जो बढ़ लिए आगे
तो फिर हर लम्हें की
आगोश में खो जाओगे!!!
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