अंदर से हों खुश यदि
तो कलियाँ खिलती हैं!
धूप, बारिस, हवा, पानी
सब एहसास हैं जिंदगी के!
खो दे इन्हें जो, तो
जिंदगी टूटती है!
जरूरत यहाँ किसी को
किसी की नहीं है!
यह दुनियाँ का मेला है
अकेले ही घूमना है!
ग़म तो हैं फैले आज
हर किसी के जीवन में
बिन माँगे मिल जाएंगे!
पर मिल जाये अपना सा
अग़र कोई रहगुज़र
तो कुछ पल जिंदगी के
हँस के बाँट लेना है!!!
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