शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

याद-ए-गगरी

छलके जो आँसू याद में
वो याद नहीं इक एहसास था!

मिलने की ख़्वाहिश में
न जाने लूटा कौन सा अरमान था!

समझाया दिल को बहलाया भी हमने
फिर भी न जाने यह क्यों बैचेन था!

तड़पन थी जकड़न थी मग़र क्यों
यह आज भी सवाल है यह कल भी सवाल था!

छलके जो आँसू याद में
वो याद नहीं इक एहसास था!

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