शनिवार, 7 अगस्त 2021

मोड़-ए-जिंदगी

जिंदगी है हमारी
हम मुड़ जाएँ 
चाहे जिधर से!!

वक़्त तो गुजर रहा है
अपनी ही घड़ी से
हम ही हैं जो दौड़ रहे
बे-वक़्त इधर-उधर से!!

सुनापन है नहीं
न दिया है जिंदगी ने
यह तो हमने है चुना
जीना ख़ामोशी से!!

कश्मकश में हैं फँसे
क्योंकि ख़्वाहिशें हैं पाली
वो जो हैं उलझन भरी
पूरी न हों तो 
घिर जाते हैं तन्हाईयों से!!

कोशिश करके जो मुस्कुराएँ
तो लगती है बनावट सी
अंदर से हो दिल खुश
तो दुःख आ सकता 
नहीं कहीं से!!

जिंदगी है हमारी
हम मुड़ जाएँ 
चाहे जिधर से!!

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