गुरुवार, 12 अगस्त 2021

एहसास-ए-शुरुआत नई

आँसुओं को!

समेट लो!

कुछ इस तरह!!

कि पलकों!

पर ही सूख जाएं!!

चलो खुशियों को!

लपेट कर!

फिर इक नई!

शुरुआत हो जाये!!

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