तोड़ के भ्रम सारे!
जो आईना दिखाता।
एक ही पैमाने से!
जो सबको है तौलता।
जात-पात, ऊँच-नीच!
धर्मों के लगाव से उठकर ऊपर!
जो सबको है सिखाता।
एक ऐसी सड़क जो!
मंजिल तक पहुँचाता।
भटके हुओं को!
जो राह दिखाता।
अँधेरे में रोशनी की!
किरण जो बन जाता।
ज्ञान के रूप में!
जो विश्वास है भरता।
दूसरों की प्रगति में अपनी!
सफलता ढूँढ़ लेता।
एक ही है वो शख़्स!
ये जमाना जिसे!
शिक्षक है कहता।
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