मज़ाक करने से
मज़ाक बनते नहीं
यह तो सोच-ए-हकीकत है!!
मुस्कुराहट बिखेरना
किसी के होठों पे
ख़ुदा-ए-बरकत है!!
मग़र रखना ख़याल
कि मज़ाक़.........!
मज़ाक़-ए-सीमा तक हो!!
मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? अच्छा लिखता हूँ या बुरा लिखता हूँ! खरा लिखता हूँ या खोटा लिखता हूँ! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ? मगर जो भी लिखता हूँ!! मगर जो भी लिखता हूँ!! हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!! मुझे नहीं पता, मैं कैसा लिखता हूँ?
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