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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

अर्पण-ए-ख़ामोशी

चुप रहना 
कभी कभी!

हर जवाब
कह देता है!

थाम रिश्तों की
रेशम सी डोर!

कई अफ़साने
बुन देता है!!

रविवार, 17 अक्तूबर 2021

हक़ीक़ते-ए-जिंदगी

 कोई बात नहीं

अग़र खुश न रह सको!

कवि कहता है इतना 

मग़र चिंता न किया करो!

हर बारिस के बाद 

धूप निकलती है!

हर रात के बाद 

दिन निकलता है!

बस इस सच्चाई को 

स्वीकार कर लिया करो!

कोई बात नहीं!!

अग़र कुछ न कर सको!!

लम्हा बदलता है हरपल

बस इंतज़ार कर लिया करो!!!!!

हँसी-ए-रहगुज़र

अंदर से हों खुश यदि

तो कलियाँ खिलती हैं!

धूप, बारिस, हवा, पानी

सब एहसास हैं जिंदगी के!

खो दे इन्हें जो, तो

जिंदगी टूटती है!

जरूरत यहाँ किसी को

किसी की नहीं है!

यह दुनियाँ का मेला है

अकेले ही घूमना है!

ग़म तो हैं फैले आज

हर किसी के जीवन में

बिन माँगे मिल जाएंगे!

पर मिल जाये अपना सा

अग़र कोई रहगुज़र 

तो कुछ पल जिंदगी के

हँस के बाँट लेना है!!!


शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2021

अर्पित-ए-तसव्वुर

 मैं कहता वही हूँ

जो दिल-ए-बाग़ में

कुछ हलचल कर दे!

कर ले कोई तसव्वुर फिर

चाहे तो फिर मुँह मोड़ दे!!

सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

हँसी-ए-मल्लिका

हँसना, रोने से बेहतर है

दिल के अरमानों को

कागज़ पे उतारना बेहतर है

क्या रखा है चिलमने खामोशी में

आओ करलें कुछ बातें

मन की मन से गुफ़्तुगू बेहतर है!!