मुझे नहीं पता,
मैं कैसा लिखता हूँ?
अच्छा लिखता हूँ
या बुरा लिखता हूँ!
खरा लिखता हूँ
या खोटा लिखता हूँ!
मुझे नहीं पता,
मैं कैसा लिखता हूँ?
मगर जो भी लिखता हूँ!!
मगर जो भी लिखता हूँ!!
हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!!
मुझे नहीं पता,
मैं कैसा लिखता हूँ?
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रविवार, 5 सितंबर 2021
ख़्वाब-ए-तसव्वुर
ख़्वाबों को भी थकने दो! कुछ पल उन्हें भी! तन्हाईयों में रहने दो!
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