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शनिवार, 31 जुलाई 2021

रब-ए-अनबन

बिक जाती हैं,
तस्वीरें उनकी,
लाखों में!
जो हैं बेघर!
नंगे बदन!
सहते ठंड की ठिठुरन!
नसीब भी न हो?
एक रोटी जिन्हें खाने में!!!
बिक जाती हैं,
तस्वीरें उनकी,
लाखों में!
हाय रे!
कैसी है? रब की!
यह रब से ही अनबन!
हाय रे!
कैसी है? रब की!
यह रब से ही अनबन!
पथराई आँखे!
वो पाँव की दरारें!
अदभुत कला लगती है!
रचनाकार और छायाकार की!
बहती हुई लहुधारा!
गंगाजल सी अविरल धारा!
बहती हुई लहुधारा!
गंगाजल सी अविरल धारा!
नज़र आती है जो!
पैंसो की झंकार में!
मिलता नहीं जिन्हें!
चादर का एक टुकड़ा भी!
रातों में!
बिक जाती हैं,
तस्वीरें उनकी,
लाखों में!
बिक जाती हैं,
तस्वीरें उनकी,
लाखों में!!!!

शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

प्रभात-ए-सुकून

आ जाता है सुकून!
और करार भी!!

सुबह सुबह जब!
गाती हैं चिड़ियाँ!
और छू लेती है!
ठंडी बयार भी!!

साँसे छेड़ती हैं राग!
और धड़कन! 
गाती है सरगम!

ऐसे मौसम में!
जब मिल जाता है!
तेरा प्यार भी!!

हक़ीक़त-ए-क़ायनात

फिजायें बदल रही हैं!

घटायें उमड़ रही हैं!

हो रहा है परिवर्तन!!

देखो! इंसान डरे डरे से!

और जानवर बेफिक्र घूम रहे हैं!!


यह प्रकोप नहीं!

हमारी करनी का फल है!

प्रकृति को लूटा है जितना!

आज उतना ही लुट रहे हैं!!


मगर इंसान तो इंसान हैं!

सुधरते कहाँ हैं!

मरते मरते भी एक दूजे की!

खाल उतार रहे हैं!!


आज रो रहा है इंसान!

और प्रकृति मुस्कुरा रही है!!

फिजायें बदल रही हैं!

घटायें उमड़ रही हैं!!!

सफ़र-ए-जिंदगी

हँसी होता है
सफ़र जिंदगी का!
घुटन तो हमारे अंदर है
ख्वाहिशें जो पाली हैं इतनी!
पूरी न हो अग़र 
तो दम घुटता है!!

चलते रहेंगे तो पहुँच जाएँगे
मंज़िल-ए-हकीकत पे अपनी!
तो मुस्कुरा के चलिए
ग़म का बोझ उठाए!
क्यों चलना है!!

शिक्षक

 तोड़ के भ्रम सारे!

जो आईना दिखाता।


एक ही पैमाने से!

जो सबको है तौलता।


जात-पात, ऊँच-नीच!

धर्मों के लगाव से उठकर ऊपर!

जो सबको है सिखाता।


एक ऐसी सड़क जो!

मंजिल तक पहुँचाता।


भटके हुओं को!

जो राह दिखाता।


अँधेरे में रोशनी की!

किरण जो बन जाता।


ज्ञान के रूप में!

जो विश्वास है भरता।


दूसरों की प्रगति में अपनी!

सफलता ढूँढ़ लेता।


एक ही है वो शख़्स!

ये जमाना जिसे!

शिक्षक है कहता।


मज़ाक़-ए-मुस्कुराहट

 मज़ाक करने से

मज़ाक बनते नहीं

यह तो सोच-ए-हकीकत है!!


मुस्कुराहट बिखेरना 

किसी के होठों पे

ख़ुदा-ए-बरकत है!!


मग़र रखना ख़याल 

कि मज़ाक़.........! 

मज़ाक़-ए-सीमा तक हो!!