मुझे नहीं पता,
मैं कैसा लिखता हूँ?
अच्छा लिखता हूँ
या बुरा लिखता हूँ!
खरा लिखता हूँ
या खोटा लिखता हूँ!
मुझे नहीं पता,
मैं कैसा लिखता हूँ?
मगर जो भी लिखता हूँ!!
मगर जो भी लिखता हूँ!!
हक़ीक़ते जिंदगी लिखता हूँ!!!
मुझे नहीं पता,
मैं कैसा लिखता हूँ?
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शनिवार, 11 दिसंबर 2021
नमन-ए-वीर
कभी-कभी लम्हां भी खामोश हो जाता है!
कहते हैं, वक़्त गुजरता है मग़र कभी-कभी थम सा जाता है!
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