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सोमवार, 16 अगस्त 2021

लम्हां-ए-ख़ुशी

हँसने की वज़ह
न खोजा करो!
छोटी सी है जिंदगी
बस ये सोच के
हर लम्हां मुस्कुराया करो!

रो रो के आँखे
क्यों हैं सुजानी
हाँ यदि मन हो 
आँखों की सफ़ाई का
तो कभी कभी
खुशी के मोती
छलका दिया करो!

पाकर ही खोना होता है
बिन पाए खोया किसे जाता है
मग़र खोने के लिए
पाने की चाहत 
दिल में न कभी रखा करो!

जिंदगी तो आबाद है सदा
हमने ही बर्बाद करी है
इच्छाओं के बोझ तले
घुट घुट के न जीवन जिया करो!

आ गए जो जमीं पर
तो हरपल जिंदा हैं हम
इस दिल में उस दिल में
एक नहीं कई ख़यालों में हैं हम
मर सकते नहीं फिर
चाहे जितना जतन करो!!

हँसने की वज़ह
न खोजा करो!
छोटी सी है जिंदगी
बस ये सोच के
हर लम्हां मुस्कुराया करो!

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